*अमूल्य रतन* 267
अव्यक्त मुरली दिनांक: *19 June 1970*

*संकल्पों को ब्रेक लगाने का मुख्य साधन*

जो भी कार्य करते हो तो *करने से पहले सोचकर फिर कार्य शुरू करो कि यह *बापदादा का कार्य है, मैं निमित्त मात्र हूंँ।*

और जब कार्य समाप्त हो जाता है तो जो *परिणाम* निकला उसे *बाप को समर्पण कर दो।* जब स्वाहा कर दिया तो फिर कोई संकल्प नहीं। फिर आपकी जिम्मेवारी नहीं।

*अव्यक्त रूप को सामने रखकर यह करके देखो।*

*संगम का समय*

यह संगम का समय 21 जन्मों को जोड़ता है। इस युग का एक एक संकल्प एक एक कर्म 21 जन्मों के बैंक में जमा होता है।

अब पुरुषार्थ इस सीमा पर पहुंच रहा है कि *संकल्प भी व्यर्थ न जाए। समय तो छोड़ो।*
_एक संकल्प भी व्यर्थ हुआ तो जमा में कट जाता है।_

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*