*अमूल्य रतन* 268
अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 June 1970*
शीर्षक: *व्यक्त और अव्यक्त वतन की भाषा में अंतर*

वहां अव्यक्त वतन में *एक सेकंड में बहुत कुछ रहस्य स्पष्ट* हो जाते हैं।
यहां आप की दुनिया में *बहुत बोलने के बाद स्पष्ट* होता है।
_अभी अव्यक्त को व्यक्त लोक के निवासियों के लिए अव्यक्त आधार ले व्यक्त देश के माफिक बोलना पड़ता है।_

*चेकर और मेकर*

जितना जो *चेकर* होगा उतना *मेकर* बन सकता है। इस समय *ला मेकर* भी हो और *न्यू वर्ल्ड मेकर* भी हो तथा *पीस मेकर* भी हो और फिर *रूलर* भी बनते हो।

आलमाइटी गवर्नमेंट की अथार्टी बनकर एडल्टरेशन और करप्शन करने वालों के पास चेकर बनकर जाओ। इससे ही नाम बाला होना है। जब एक ने सिर झुकाया तो अनेकों के सिर झुक जाएंगे।