*अमूल्य रतन* 269 *अधिकारी और अधीन* अधिकार को भूलने से अधिकारी नहीं समझते फिर माया के अधीन हो जाते हो। *माया का प्रवेश द्वार* पहले माया भिन्न-भिन्न रूप से आलस्य लाती है। देह अभिमान में भी पहला रूप आलस्य का धारण करती है। उस समय *श्रीमत को वेरीफाई कराने का आलस्य* आता है। _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |