*अमूल्य रतन* 270 *सुस्ती का रॉयल रूप* 01. कई यह भी सोचते हैं कि अव्यक्त स्थिति इस पुरुषार्थी जीवन में सात आठ घंटा रहे यह हो ही कैसे सकता है? यह तो अंत में होना है। 02. कई यह भी सोचते हैं कि फिक्स सीट्स ही कम है तो औरों को पुरुषार्थ में आगे देख सोच लेते हैं कि इतना आगे हम जा नहीं सकेंगे। 03. प्रवृत्ति की पालना तो करना ही है। लेकिन प्रवृत्ति में रहते हुए वैराग्य वृत्ति में रहना है यह भूल जाते हैं। *सभी सोचते हैं बाबा बड़ा आवाज क्यों नहीं करते हैं?* बहुत समय के संस्कार से अव्यक्त रूप से व्यक्त में आते हैं तो आवाज से बोलना अच्छा नहीं लगता है। _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |