*अमूल्य रतन* 275
अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 June 1970*

*तीसरे नेत्र का साक्षात्कार कैसे होगा?*

मस्तक में झलक, नयनों में फलक देखने में आएगी। इससे पता पड़ेगा कि इनका तीसरा नेत्र मग्न है या युद्ध स्थल में है।
तीसरा नेत्र अर्थात् दिव्य बुद्धि, यथार्थ रीति से स्वच्छ होगी तो एक टिक होगा।
*साक्षात्कार मूर्त अर्थात् स्थिर मूर्त।*

*तीसरा नेत्र स्पष्ट होने से*

कितनी प्रजा बनी है कितने भक्त बने हैं यह भी मालूम पड़ेगा।
अपना भी साक्षात्कार होगा कि मैं माला में कहाँ पिरोया हुआ हूंँ।

*अभी लक्ष्य रखो प्रजा बनाने का। भक्त तो लास्ट में मिनट मोटर के समान बनेंगे।*
यहां भी भक्त वंदना करेंगे। पूजा नहीं, गायन करेंगे। पूजा फिर वहां करेंगे।

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