*अमूल्य रतन* 276
अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 July 1970*
शीर्षक: *सायलेंस बल का प्रयोग।*

*शक्तियों की विशेषता*

01. जितना ही प्रेममूर्त उतना ही संहारीमूर्त।
प्रेमरूप प्रत्यक्ष और शक्ति रूप गुप्त है।

02. शक्तियों का एक भी संकल्प या एक भी बोल व्यर्थ नहीं जा सकता।

03. जो कहा वह किया, संकल्प और कर्म में अंतर नहीं होगा। क्योंकि संकल्प भी जीवन का अनमोल खजाना है।

04. एक एक संकल्प से स्वयं का व सर्व का कल्याण होता है। इसलिए शक्तियों को कल्याणी कहते हैं।

05. सायलेंस बल से, अपने शुद्ध संकल्पों द्वारा आत्माओं को खींचकर सामने ला सकते हैं जाकर मेहनत करने की आवश्यकता नहीं।

अब चेक करो सेकंड में कितने संकल्प सफल हुए, कितने असफल हुए?

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