*अमूल्य रतन* 278
अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 July 1970*

*इस पुरानी दुनिया से बेहद का वैराग्य लाने का साधन*

बेहद का वैरागी बनना है तो सदैव अपने को मधुबन निवासी समझो। लेकिन *मधुबन को खाली नहीं देखना। मधुबन है ही मधुसूधन के साथ।*

तो मधुबन याद आने से बापदादा, दैवी परिवार, त्याग, तपस्या और सेवा भी याद आ जाते हैं।

मधुबन तपस्या भूमि भी है। *मधुबन एक सेकंड में सभी से त्याग कराता है।* मधुबन है ही त्यागी, वैरागी बनाने वाला।
मधुबन है ही परिवर्तन भूमि।

*जितना आप के मुख पर बापदादा का नाम होगा उतना ही सभी के मुख पर आपका नाम होगा।*

*बंधनयुक्त हो या स्वतंत्र?*

स्वतंत्रता का अर्थ है स्पष्ट।

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