*अमूल्य रतन* 282
अव्यक्त मुरली दिनांक: *11 July 1970*

*तीनों कर्तव्य प्रैक्टिकल और प्रत्यक्ष रूप में*

मास्टर ब्रह्मा भी बने, पालना की, श्रृंगार किया लेकिन अब पार्ट है संहार का।

*शक्तियों के अलंकार घुंँघरू की झंकार किस कार्य का गायन है?*

घूंगरू डालकर असुरों पर नाचने का। नाचने से जो भी चीज होगी वह दबकर खत्म हो जाएगी। निर्भयता और विनाश की निशानी यह घुंँघरू की झंकार है।

*बाप को प्रख्यात करने के लिए प्रत्यक्ष होना पड़े*

शूरवीर शक्ति रूप बनकर प्रत्यक्ष रूप में सामने आओ।
जब अपनी ही कमजोरियों को विदाई ना देंगे तो सृष्टि के कल्याणकारी कैसे बनेंगे?

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