*अमूल्य रतन* 283
अव्यक्त मुरली दिनांक: *11 July 1970*

*यथार्थ पुरुषार्थ का अर्थ*

वहां ही पुरुषार्थ और वहां ही प्राप्ति। संगम युग को विशेष वरदान है प्रत्यक्ष फल प्राप्त कराने का। फल भी ऐसा है जो पुरुषार्थ कम प्रारब्ध जास्ती।

*सर्विसेबल का अर्थ*

*बेहद की बात सोचना, बेहद परिवार से संबंध और स्नेह, सर्व स्थान अपने….।* ऐसे को कहते हैं बेहद का सर्विसेबल। *हद की सर्विस वाले को सर्विसेबल नहीं कहेंगे।*

मधुबन को कहते हैं सेफ (तिजोरी)।

*कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए*

*योगयुक्त और निश्चय बुद्धि बनकर के कर्तव्य करने से* सफलता प्राप्त हो जाती है।
समस्याओं का सामना करने से सफलता मिलती है। विघ्न तो आएंगे लेकिन लगन की अग्नि से विघ्न भस्म हो जाएंगे।

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