*अमूल्य रतन* 285 *फरिश्ता रूप की स्थिति अर्थात्* अव्यक्त स्थिति जिसकी सदाकाल रहती है। *फाइनल सिद्धि की स्थिति* जैसे शुरू शुरू में अव्यक्त स्थिति का अभ्यास करने के लिए कितना एकांत में बैठ अपना व्यक्तिगत पुरुषार्थ करते थे। वैसे ही इस फाइनल स्टेज का भी पुरुषार्थ बीच-बीच में समय निकाल करना चाहिए। *समय की चेतावनी* सभी यही कहते हैं कि बहुत बिजी रहते हैं, समय कम मिलता है, समय कहां से आयेगा? दिन प्रतिदिन समस्याएं बढ़ती जानी है। एक तरफ संकल्पों की, दूसरी तरफ इविल स्पिरिट्स की भी वृद्धि होगी। _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |