*अमूल्य रतन* 290
अव्यक्त मुरली दिनांक: *27 July 1970*

*स्नेह मूर्त*

*स्नेह कभी गुप्त नहीं रह सकता।* स्नेही के हर कदम से उसकी छाप देखने में आती है।
जितना हर्षित मूर्त उतना आकर्षण मूर्त बनना है।

*आकर्षण मूर्त बनने के लिए*

आकारी रूपधारी बनकर साकार कर्तव्य में आना है। *अंतर्मुखी और एकांतवासी यह लक्षण* धारण करने से जो लक्ष्य रखा है उसकी सहज प्राप्ति हो सकती है।

*सफलता के लिए विशेष गुण*

जितना मन्सा, वाचा, कर्मणा, संपर्क में उदारचित् उतना सर्व के उद्धार करने के निमित्त बन सकते हैं। उदारचित् होने से सहयोग लेने के पात्र बन जाते हैं।

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*