*अमूल्य रतन* 31
अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 मई 1969

*जीवन में अव्यक्त स्थिति की परख*

01. उनके हर कर्म में अलौकिकता होगी।
02. उनके नयन, चैन, हर कर्म करते हर कर्म इंद्रियों से अतींद्रिय सुख की महसूसता आयेगी। अगर यह दोनों ही चीजें अपने कर्म में देखते हो तो समझना चाहिए की अव्यक्त स्थिति में स्थित हैं।

*अव्यक्त स्थिति को प्राप्त होने के लिए सर्वोत्तम स्लोगन* जिसके याद रहने से माया के विघ्नों में हार नहीं हो सकती।

01. मनमनाभव, हम बाप की संतान हैं।
02. स्वर्ग का स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। और
03. संगम के समय बाप का खजाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।