*अमूल्य रतन* 39
अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 मई 1969
शीर्षक: *रूहानी ज्ञान योग के ज्योतिषी*

_परखने की शक्ति धारण करने से हर आत्मा के भूत, वर्तमान और भविष्य को जान सकेंगे।_

*ईश्वरीय शक्ति को धारण करने की आवश्यकता*

दिन प्रतिदिन आपदाएं, अकाले मृत्यु, पाप कर्म बढ़ते जाते हैं तो पापात्माओं की वासनाएं जो रह जाती है वह फिर अशुद्ध आत्माओं के रूप में भटकती है। इसलिए *हर कर्मेइंद्रियों को योगाग्नि में तपाने से कोई वार नहीं कर सकेंगे।* थोड़ा भी कहां ढीलापन हुआ कोई भी कर्मेइंद्रियांँ ढीली हुई तो फिर प्रवेशता हो सकती है अशुद्ध आत्माएं भी बड़ी पावरफुल होती है।

प्राकृतिक आपदाएं भी अपना कर्तव्य करेंगी। *उनका सामना करने के लिए अपने में ईश्वरीय शक्ति धारण करनी है।*