*अमूल्य रतन* 43
अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969

*दीपावली* के शुभ अवसर पर अव्यक्त बापदादा के महावाक्य:

*भविष्य को जानने की युक्तियाँ*

*बापदादा की बच्चों में मुख्य आशा है कि हर बच्चा पहले नंबर में जायें* अर्थात् हर एक विजयी रत्न बनें।

*विजयी रत्नों के लक्षण-*

01. *माला के मुख्य मणके वही बन सकते हैं* जो खुद विजयी हो और औरों को भी अपने से आगे विजयी बनायें।
02. वह अपने संग का रंग सभी को लगायेंगे। जो भी सामने आए वह विजयी बनकर ही निकले।

*ऐसे नहीं कि कोटो में कोई ही विजयी बनेंगे लेकिन जो जैसा होता है वैसा ही बनाता है।*