*अमूल्य रतन* 44
अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969
*दीपावली* के उपलक्ष्य में अव्यक्त बापदादा के महावाक्य: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ*
*दीपमाला अर्थात्*
*एक दीप से अनेक दीप* जगाते हैं तो अनेकों का एक के साथ लगन लगता है; लगन होगी तो अग्नी भी होगी।
*दीपक के प्रकार*
01. *मिट्टी का स्थूल दीपक* – अन्धियारे को मिटाकर रोशन करने वाला।
02. *आत्मा का दीपक* – एकरस और अटल अडोल।
03. *कुल का दीपक* – ऐसा कोई कर्म ना हो जो कुल का दीपक बुझ जाए।
04. *आशाओं का दीपक* – ऐसी ऐसी कोई चलन हो जो बापदादा बच्चों में आशाओं का दीपक जगाते वह बुझ जाये।
*जिसका दीपक खुद जगह हुआ होगा वह औरों दीपक जगाये बिगर रह नहीं सकता।* यह चारों प्रकार के दीपक जब जग जाते हैं तब समझो दीपावली मनाई।
_*दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं*_