*अमूल्य रतन* 46
अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969
शीर्षक: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ*

*कोशिश और कशिश*
जैसे बापदादा के बोल सुनते हैं तो लगता है मुरली तो कमाल की है; ऐसे *आप सभी के संकल्प, वाणी तथा कर्म कमाल का होना चाहिए।* हर एक के मुख से निकले कि इन्हों का कर्तव्य कमाल का है।
बापदादा को फॉलो करने के लिए कोशिश शब्द को खत्म कर कशिश धारण करनी है। *कशिश रूप बनने से साथी साथ देगा नहीं तो साथी साक्षी हो जायेगा।*

*वाणी से परे अपने घर जाने के लिए पुरुषार्थ -*

01. इस दुनिया में रहते *देह और देह के संबंधों से उपराम-चित्त होना है।*
02. बाप पवित्र बनने की शक्ति देते हैं *तुमको सदा पवित्र बनना है।*