*अमूल्य रतन* 48
अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969
शीर्षक: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ*
*स्नेह (मेहनत का फल)*
जो मेहनत करते हैं उसका फल भी यहांँ ही मिलता है। *समय पर स्नेही की ही याद आती है।* सभी का स्नेही बनने के लिए मेहनत करनी है। *जो मेहनत करते हैं उनको हरेक स्नेही की नज़र से देखेंगे।*
*स्नेह के साथ जब शक्ति का मिलन हो जाता है तो-*
01. वह अवस्था अति न्यारी और अति प्यारी होती है।
02. खुद संपूर्ण बन औरों को भी संपूर्ण बना सकते हैं क्योंकि शक्ति से वह संस्कार भर जाते हैं।