*अमूल्य रतन* 60
अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 जून 1969
शीर्षक: *सुस्ती का मीठा रूप – आलस्य*
*श्री कृष्ण के साथ पहले जन्म में नज़दीक आने वालों की संगमयुग में निशानी-*
यज्ञ सर्विस, जिम्मेवारी व जो बापदादा का कार्य है उसमें जो नज़दीक होंगे वही वहांँ खेल-पाल आदि में नज़दीक होंगे।
*नज़दीक होने की परख*
जितनी बुद्धि, जितना तन-मन-धन और जितना समय अलौकिक जिम्मेवारियों में देते हो; अगर ज्यादा नहीं तो भी, *दोनों तरफ का वजन एक जितना है तो भी नज़दीक गिना जायेगा।*
इस हिसाब से परखना चाहिए।
_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*