सदा स्मृति स्वरुप रहने से – मस्तक में संकल्पों की गति धैर्यवत होगी। अनेक संकल्पों को जन्म नहीं देंगे। रूहानी एनर्जी waste नहीं होगी। शक्ति स्वरुप का अनुभव कर सकेंगे। तीन शब्द सदा याद रखो – बैलेंस रखना है, ब्लिसफुल रहना है और सर्व को ब्लेसिंग देना है। कम सोचो अर्थात सिद्धि स्वरुप संकल्प करो। मुख द्वारा अमृतवाणी ही निकले।

Avyakt Murli 07 – 03 – 1982