*अमूल्य रतन* 04
*मुरली दिनांक: 02 फरवरी 1969
*बापदादा और बच्चों में अंतर*
बापदादा शुद्ध मोह में आते हुए भी निर्मोही है, शुद्ध मोह बच्चों से भी जास्ती है और बच्चे शुद्ध मोह में आते हैं तो कुछ स्वरुप बन जाते हैं, या तो प्यारे बनते या तो न्यारे बनते हैं। जब यह अंतर मिटाएंगे तब *अलौकिक और अंतर्मुखी एवं अव्यक्त फरिश्ते* नजर आएंगे।
*बच्चों को अपनी शक्ति का एहसास*
आप बच्चों में इतनी शक्ति है जो अव्यक्त वतन को भी व्यक्त में खींचकर ला सकते हो। अव्यक्त वतन का नक्शा व्यक्त वतन में बना सकते हो।