*अमूल्य रतन* 06
अव्यक्त मुरली दिनांक: 6 फरवरी 1969
शीर्षक: *महिमा सुनना छोड़ो – महान बनों*
*जो सुना है वह स्वरूप बन के दिखाना है। कैसे?*
1. आपकी हर चलन में हर चरित्र में बाप और दादा के चरित्र समाया हुआ होना चाहिए।
2. आपकी आंखों में उस ही बाप को देखें।
3. आपके चित्र में उसी आलौकिक चित्र को देखें। 4. आपके व्यक्त रूप में अव्यक्त मूर्त नजर आए।
*बच्चों द्वारा बाप के गुणों को प्रत्यक्ष करने के लिए*
1. याद की यात्रा व अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर हर कर्म करना है।
2. मेरा नाम हो, मैं ऐसा हूंँ, मेरे से राय क्यों नहीं ली, मेरा मूल्य ……..अनेक प्रकार के कामनाएं सामना करने में विघ्न रूप में आएगी।