*अमूल्य रतन* 07

अव्यक्त मुरली दिनांक: 6 फरवरी 1969

*अव्यक्त स्थिति में सहज स्थित होने के लिए*

‘हम मेहमान हैं’ ऐसा समझने से महान स्थिति में स्थित हो जाएंगे। मेहमान समझना लेकिन महिमा में नहीं आना। जरा सा अंतर है *मेहमान और महिमा* यह अंतर अवस्था को ऊपर नीचे कर देता है।

*तीन बातें छोड़ो और तीन बातें धारण करो*

01. कभी भी कोई बहाना नहीं देना।
02. कभी भी किसी से सर्विस के लिए कहलाना नहीं।
03. सर्विस करते कभी मुरझाना नहीं। *त्याग तपस्या और सेवा* तपस्या अर्थात् याद की यात्रा और सर्विस के बिना भी जीवन नहीं बन सकती। यह दोनों बातें त्याग बिना नहीं हो सकती।

सामना करने में विघ्न रूप में आएगी।