*अमूल्य रतन* 63
अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जून 1969
शीर्षक: *बड़े से बड़ा त्याग – अवगुणों का त्याग*

*स्नेह और शक्ति का मिलाप*

बापदादा से स्नेह है तो शिवबाबा का मुख्य टाइटल सर्वशक्तिवान उसमें आप समान बनना है।

‘सिर्फ स्नेह’ टूट सकता है लेकिन *स्नेह और शक्ति दोनों का जहांँ मिलाप होता है वहांँ आत्मा और परमात्मा का मिलाप भी अविनाशी,* अमर रहता है।

*मिलन को अविनाशी बनाने के लिए साधन*

स्नेह और शक्ति दोनों का मिलाप अपने अंदर करना पड़ेगा तब कहेंगे आत्मा और परमात्मा का मिलन अविनाशी है।

*फाइनल पेपर में नंबर वन आने के लिए बुद्धि में रखने वाली मुख्य बात-*

त्याग और सेवा के साथ सबसे बड़ा बलिदान – दूसरों के अवगुणों का त्याग करना यह है बड़ा त्याग।