*अमूल्य रतन* 65
अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जून 1969
शीर्षक: *बड़े से बड़ा त्याग – अवगुणों का त्याग*

*तीनों संबंध से तीन सौगात*

सौगात है स्नेह की निशानी।

01. _बाप के रूप में शिक्षा की सौगात।_

*बापदादा और जो निमित्त बनी हुई आत्माएं* हैं व जो भी दैवी परिवार हैं उन सब से *आज्ञाकारी और वफादार* बनकर के चलना है।

02. _टीचर के रूप से शिक्षा की सौगात_ एक तो *ज्ञान ग्रहण और दूसरा गुण ग्राहक* बनना है।

03. _सतगुरु के रूप से शिक्षा की सौगात_ *सदैव एक मत होना है, एकरस और एक के ही याद में रहना है।*

जितना जितना *ऑलराउंडर* बन विशेष सर्विस करेंगे उतना उतना *सतयुगी परिवार के नजदीक* आयेंगे।