*अमूल्य रतन* 69
अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 जून 1969
शीर्षक: *शिक्षा देने का स्वरूप – अपने स्वरूप से शिक्षा देना।*
*बापदादा का बच्चों को देखने का नज़रिया*
बापदादा सिर्फ बच्चों को नहीं तीनों संबंधों से तीनों रूप से देखते हैं।
*टीचर के रूप में नंबरवार स्टूडेंट* को देखते हैं।
*गुरु* के रूप में *नंबरवार फॉलो करने वालों को।*
*याद की यात्रा किस लिए कराया जाता है?*
याद की यात्रा भी इसलिए करते हैं कि साकार में रहते निराकार और न्यारे अशरीरी होकर रहे।
*जब अशरीरी बनेंगे तब गुरु के साथ जा सकेंगे।*
याद की यात्रा को भी बल देने वाला कौनसा ज्ञान अर्थात् समझ है वह भी स्पष्ट बुद्धि में होना चाहिए।
देखने में आता है अव्यक्त रस को, अव्यक्त मदद को बहुत थोड़े ले पाते हैं।