*अमूल्य रतन* 71
अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 जून 1969

*विघ्नों को पार करने के लिए शक्ति*

विघ्नों का सामना करने के लिए चाहिए परखने की शक्ति फिर चाहिए निर्णय करने की शक्ति।

*निर्णय शक्ति* – जब निर्णय करेंगे यह माया है या यथार्थ, फायदा है या नुकसान, अल्पकाल की प्राप्ति है या सदाकाल की प्राप्ति।

*हार से बचने के लिए अपने निर्णय शक्ति और परखने की शक्ति को बढ़ाना है।*

*निर्णय शक्ति बढ़ाने के लिए पुरुषार्थ/मुख्य खुराक-*

_निराकारी व अशरीरी अवस्था तो हुई बुद्धि तक लेकिन कर्म से भी न्यारे और निराले रहे।_
जो हर कर्म देखकर *लोग समझे यह लौकिक नहीं अलौकिक है।*

जितना इन बातों को धारण करेंगे उतना विघ्नों को मिटा सकेंगे और जो सृष्टि पर आने वाले विघ्न है उन्हों से बच सकेंगे।