*अमूल्य रतन* 74
अव्यक्त मुरली दिनांक: 06 जुलाई 1969

*जिज्ञासु को परिचय देते वक्त क्या करना चाहिए-*

बीज तो बीज ही है। वह भल सड़ भी जाए तो भी समय पर कुछ न कुछ टालियांँ आदि निकलती रहती है। बरसात पड़ती है तो निकल आता है। *आप बीज(शिवबाबा) को भूल जाएंगे तो फिर रास्ता कैसे बतायेंगे?* युक्तियुक्त बोलना चाहिए!

*ध्यान में रखो*

इतना समय जो बापदादा की गोद में पले और उसमें जो कुछ भी कर्तव्य किया। जो समझते हैं भूल हुई है; कोई भी अपने दिल से भूल नहीं करते हैं, परंतु अलबेलाई से हो जाती है तो सबको लिखना है। जिन्होंने बापदादा से बात की है, उन्हों को भी लिखना है।
*यह अंत का समय है 84 जन्मों का हिसाब किताब यहांँ ही चुक्तू होना है।*
*सच्चाई और सफाई अक्षर तो कहते हो परंतु उसमें अंतर क्या है उसकी गहराई में जाकर सारा लिखना है।*