*अमूल्य रतन* 78
अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जुलाई 1969

*संगम का संपूर्ण रूप शक्तियों और पांडवों के रूप में*

मालूम पड़ेगा हमारे भक्त कौन हैं? प्रजा कौन है।? *जो प्रजा होगी वह नज़दीक आयेंगे और जो भक्त होंगे वह पिछाड़ी में चरणों पर झुकेंगे।*

_*प्रत्यक्षफल का स्वीकार*_

रचयिता को अपनी रचना का ध्यान रखना है। सिर्फ बीज नहीं लेकिन बीज का जब फल निकलता है तो उसकी बहुत संभाल करनी पड़ती है। *ध्यान रहे यह फल बापदादा को ही स्वीकार कराना है।* *_लेकिन यह खबरदारी रखनी है कि बीच में माया रुपी चिड़िया फल को जूठा न कर दे।_*

यह जो *उम्मीद का सितारा* चमकता हुआ दिख रहा है *उसकी परवरिश करते रहना।*

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