*अमूल्य रतन* 84
अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 जुलाई 1969
*अपना बैंक बैलेंस (जमा का खाता) चेक करना*
कम से कम इतना तो होना चाहिए जो खुद संतुष्ट रहें। _अपनी कमाई से खुद भी संतुष्ट नहीं रहेंगे तो औरों को क्या कहेंगे।_
*जमा के खाते को क्यों बढ़ाना है – 01*
अपने लिए तो करना ही है लेकिन ऐसा दृश्य सभी के सामने होगा। _जो आज अपने को भरपूर समझते हैं वह भी भिखारी के रूप में आप सभी से भीख मांगेंगे।_
आप सभी के एक सेकंड की दृष्टि के, अमूल्य बोल के प्यासे रहेंगे।
ऐसा न हो कि दर पर आई हुई कोई भूखी आत्मा खाली हाथ जाए।
*अंतिम दृश्य अपने सामने रख पुरुषार्थ करो।*