*अमूल्य रतन* 85
अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 जुलाई 1969
*जमा के खाते को क्यों बढ़ाना है – 02*
आप रचयिता हो। *आप के एक एक रचना के पीछे फिर रचना भी है।*
मांँ बाप को जब तक बच्चे नहीं होते हैं मांँ बाप की कमाई अपने प्रति ही होती है। जब रचना होती है तो फिर रचना का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है।
_अब अपने लिए जो कमाई की थी वह तो बहुत समय खाया, मनाया।_ *लेकिन अब अपनी रचना का भी ध्यान रखो।*
*कुछ मुख्य बिंदु*
01. जितनी यहांँ रचना होगी उतना वहांँ बड़ा राज्य होगा।
02. बापदादा हर एक की रिजल्ट देख कह देते हैं एक-एक सितारे की कितनी रचना है।
03. ध्यान रहे बड़ी रचना के साथ जिम्मेदारियांँ भी बड़ी है।
_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*