*अमूल्य रतन* 86
अव्यक्त मुरली दिनांक: 19 जुलाई 1969
शीर्षक: *जीरो और हीरो बनो*

*बापदादा के सृष्टि का श्रंगार करने के लिए तैयार हुए जेवरों में बाकी रहा हुआ काम*

अव्यक्त स्थिति की पॉलिश ही बाकी रही है। सभी को *ज्यादा से ज्यादा अव्यक्त स्थिति में रहने का विशेष समय देना है।*

*पहला पाठ – आत्मिक स्थिति*

आपस में बातचीत करते समय आत्मा को देखो। शरीर में होते हुए भी आत्मा को देखो।
*आत्मिक दृष्टि की अवस्था सदा रहे।*

*पहले पाठ का महत्व*

01. सर्विस की सफलता का मुख्य साधन है आत्मिक स्थिति में रह सर्विस करना।
02. जो भी *धारणाएं सुनी है उन सभी को जीवन में लाने के लिए* यही पहला पाठ पक्का करना है।