*अमूल्य रतन* 89
अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969
शीर्षक: *सफलता का आधार परखने की शक्ति*
*ताज और तख्त*
चेक करो संगमयुग में किसने कितना बड़ा ताज और तख्त धारण किया है।
क्योंकि *सभी चुने हुए रत्न हैं तो इतनी पहचान तो जरूर होगी ही।*
*परखने की शक्ति की आवश्यकता*
01. अपने वर्तमान पुरुषार्थ प्रमाण *अपनी तकदीर को परखने के लिए।*
02. जब अपने को परख सकोगे तभी तो *दूसरों को परख सकोगे।*
03. *समय ही ऐसा* है जो परखने की शक्ति की अति आवश्यकता है।
04. *सर्विस में सफलता पाने का मुख्य साधन* भी यही है।
*परखने की शक्ति पूरी होने से* – जिसको जो चाहिए, जिस रुप से उसकी तकदीर जग सकती है, वह दे सकते हैं।