*अमूल्य रतन* 131
अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 अक्टूबर 1969
*तकदीर और तदबीर*
जब किसी को देखते हो तो हर एक की तस्वीर से उनकी तदबीर, उनके पुरुषार्थ का जो विशेष गुण हैं, वही देखो।
*हर एक के पुरुषार्थ में विशेष गुण ज़रूर होता है।*
एक होता है गुण और दूसरा होता है गुणा (कमी, अवगुण)।
_अगर गुण नहीं देखते हो तो गुणा(दोष) लग जाता है।_
*वर्तमान और भविष्य में समीप आने के लिए*
एक दो के स्नेही बनना है। ऐसे स्नेही बच्चों से बापदादा का भी अति स्नेह है अब भी और भविष्य में भी।
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