*अमूल्य रतन* 130
अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 अक्टूबर 1969

*यज्ञ कुंड (मधुबन) का महत्व*

जो भी स्थान है सभी यज्ञ ही हैं फिर भी यज्ञ कुंड का महत्व है।
गंगा और यमुना दोनों का महत्व है लेकिन फिर भी संगम का महत्व ज्यादा है।
*_जैसे विशेष स्थानों का विशेष महत्व होता है वैसे मधुबन का भी विशेष महत्व है।_*

*मधुबन में आपको सौगात के रूप में मिलती है, वहांँ पुरुषार्थ के रूप में।*
*मधुबन में वरदान वहांँ मेहनत।*

ऐसा सैंपल बनो जो _आपको देख दूसरे भी आकर्षित हो यज्ञ कुंड में स्वाहा हो जाए।_

*लक्ष्य की प्राप्ति के लिए*

ड्रिल करने से जो लक्ष्य है बनने का वह बन पायेंगे।

“हम संपूर्ण बनेंगे और सर्व को बनाएंगे।” *यही उमंग उत्साह सदा कायम रखनी है।*

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