*अमूल्य रतन* 179
अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970*
*फॉलो फादर*
जैसे साकार में अथक और एकरस, एग्जांपल बन कर दिखाया। ऐसे औरों के प्रति एग्जांपल बनना।
*सर्विस का समय न मिले तो*
चरित्र भी सर्विस दिखला सकता है। *आपके चरित्र उस विचित्र बाप की याद दिलाएं।* _यह नयन उस विचित्र का चरित्र दिखलाए_ ऐसा अविनाशी लॉकेट पहनना। इससे अपनी स्मृति भी रहेगी और सर्विस भी होगी।
*मधुबन – सर्व प्राप्तियों की खान*
खान से जितना ले सकते हैं उतना लिया जाता है। वैसे ही मधुबन है सर्व प्राप्तियों की खान। बाकी सेवाकेंद्र है इस खान की ब्रांचेस।
*यहां की एक एक वस्तु, एक एक ब्राह्मण आत्मा, बहुत कुछ शिक्षा और शक्ति देनेवाली है।*
बापदादा चाहते हैं कि यहां जो भी आते हैं *थोड़ा बहुत नहीं सब कुछ ले लेवें।*
जितना यहां लेने में संपन्न बनेंगे उतना भविष्य के राज्य पाने में संपन्न होंगे।
*आप पदम सौ भाग्यशाली हो जो इस भूमि पर पहुंच गए हो।*