*अमूल्य रतन* 178
अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970*

*सदा साथ रहने वाला युगल*

यहां सदैव युगल रूप में रहेंगे तो वहां भी युगल रूप में राज्य करेंगे। अगर युगल साथि हो तो माया आ नहीं सकेगी। युगल मुहूर्त समझना यही बड़े ते बड़ी युक्ति है।
*शिव बाबा को अपने से कभी अलग नहीं करना।*

जैसे स्थूल कार्य में हार्ड वर्कर हो वैसे ही _*मन की स्थिति में भी ऐसे ही हार्ड हो जो कोई भी परिस्थिति में पिघल न जाए।*_

*जास्ती पुरुषार्थ करने की इच्छा*

जास्ती पुरुषार्थ करने की अपनी *इच्छा को दृढ़ रखना तो मदद भी दृढ़ मिलेगी।* संकल्प पक्का होगा तो सृष्टि भी ऐसी बनेगी।

*सर्विस करने की युक्ति*

लौकिक को भी अलौकिक समझो।
*जैसे जैसे आपकी अव्यक्त स्थिति होती जाएगी वैसे बोलना भी कम होता जाएगा। कम बोलने से ज्यादा लाभ होगा। योगबल और ज्ञानबल दोनों इकट्ठा होता है।*
अभी ज्ञानबल से सर्विस हो रही है योगबल गुप्त है। जब समानता होगी तब सफलता होगी।

*होली की शुभकामनाएं स्वीकर करना जी*