*अमूल्य रतन* 129
अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 अक्टूबर 1969

*तंदुरुस्ती के लिए अलौकिक ड्रिल*

एक सेकंड में साकार से निराकारी बनने की प्रैक्टिस जो जितना करता है उतना ही तंदुरुस्त अर्थात् *माया की व्याधि नहीं आती और शक्ति स्वरूप भी रहता है।*

*समस्या का कारण*

प्रवृत्ति में रहने के कारण जहाँ न जोड़ना है वहांँ भी जोड़ लेते हैं और जहांँ काटना न हो वहांँ भी काट लेते हैं। इसलिए यह भी पूरा पूरा *सीखना* है की *प्रवृत्ति में रहते हुए भी क्या तोड़ना है और क्या जोड़ना है।*

इन दोनों बातों को धारण कर संपूर्ण बन औरों को संपूर्ण बनाने के निमित्त ही जाना। *संबंध के कारण नहीं जाना है लेकिन सर्विस के निमित्त जाना है।*

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