*अमूल्य रतन* 146
अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 नवंबर 1969

*बापदादा और दैवी परिवार के स्नेही सहयोगी बनने के लिए*

*मददगार और वफादार।* जब यह दोनों बातें होगी तब बापदादा और परिवार स्नेही सहयोगी बन सकेंगे।

*सहयोगी की परख*

वह परिवार और बापदादा के विचारों और जो कर्म होते हैं उनमें एक दो के समीप होंगे।
*एक दो के मत के समीप आते जाएंगे तो मतभेद खत्म हो जाएगा।*

*चेक करो*

क्या हम अपने तन, मन, धन और समय का प्रयोग उसी प्रकार कर रहे हैं जैसे संपूर्ण समर्पण आत्मा करती है?

चेकिंग की रिजल्ट जितना शॉर्ट और स्पष्ट होगी उतना *आंतरिक स्थिति भी स्पष्ट और क्लियर होगी।*
पुरूषार्थ की लाइन क्लियर रहेगी।

_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*