*अमूल्य रतन* 149
अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 नवंबर 1969
*सिर्फ संदेश देना सर्विस नहीं*
संदेश देना अर्थात् उनको अपने संबंधी बनाना। *अपना संबंधी बनाना अर्थात् शिव वंशी ब्रह्माकुमार कुमारी बनाना।* यह है अपना संबंधी बनाना।
*अपना संबंधी बनाने के लिए*
अपना संबंधी तब बना सकेंगे जब उनको स्नेही बनाएंगे। सिर्फ संदेश देना तो चींटी मार्ग की सर्विस है। यह विहंग मार्ग की सर्विस है।
संबंधीयों को अपना संबंध याद दिलाओ।
*बिछड़ी आत्माओं को स्नेही बनाओ।*
*सर्विस में वृद्धि लाने के लिए*
बेधड़क होकर सूचना देने, संदेश देने के लिए जाओ। *उनको जो कहते हो वह तुम भी करो।*
व्यर्थ संकल्पों के कारण ही समय और शक्ति वेस्ट होती है। *संकल्प से भी संपूर्ण समर्पण होना है।*
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