*अमूल्य रतन* 181
अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970*

*त्याग से ही भाग्य*

*त्याग करने के बाद मन्सा में भी संकल्प उत्पन्न नहीं होना चाहिए।* जैसे जब कोई बलि चढ़ता है तो उसमें अगर ज़रा भी चिल्लाया व आंखों से बूंद निकली तो उनको देवी के आगे स्वीकार नहीं कराएंगे। झाटकू अर्थात एकदम से खत्म।

*बापदादा को कौन से बच्चे स्वीकार होंगे*

जिनको मन्सा में भी संकल्प ना आए इस को कहा जाता है महाबली। *ऐसे महान बलि को ही महान बल की प्राप्ति होती है।*

*ईश्वरीय सर्विस करने का तनख्वाह*

भविष्य स्वर्ग की बादशाही तो है ही लेकिन उससे भी ज्यादा अभी की प्राप्ति है। अभी *जो ईश्वरीय अतींद्रिय सुख मिलता है वह सारे कल्प में नहीं मिल सकता।*

*शिवबाबा को युगल बनाने से*

देहधारी युगल तो सुख के साथी होते हैं लेकिन *यह तो दुख के समय साथी बनता है।*
साथ रखना अर्थात् शक्ति रूप बनना।