*अमूल्य रतन* 182
अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970*

*खुशी का दीपक सदैव जगा रहे इसके लिए दो बातें*

ज्ञान घृत और योग है बत्ती।

*ऐसे मत समझना कि* हम तो 15 दिन के बच्चे हैं, _बिछड़े हुए जो होते हैं वह आने से ही तीव्र पुरुषार्थ में लग जाते हैं।_

*अचलघर – तुम्हारा यादगार*

एक कुमारी 100 ब्राह्मणों से उत्तम गाई जाती है। एक में 100 की शक्ति भरेंगे तो क्या नहीं कर सकते। *सिर्फ अपने पांव को मजबूत बनाओ। कितना भी कोई हिलाए तो हिलना नहीं।* अचलघर भी तुम्हारा यादगार है अर्थात् जिसको कोई हिला न सके।

*बापदादा 3 वर्सा देते हैं*

सुख, शांति और शक्ति।

_युगल रूप में पार्ट बजाते भी आत्मिक स्थिति में रहना अर्थात् अकेले बनना है और फिर *रूहानी युगल बनना है।* आत्मा है सजनी और परमात्मा है साजन।_

_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*