*अमूल्य रतन* 189
अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970*
*समय से पहले अव्यक्त स्थिति का अनुभव*
ऐसे नहीं सोचना कि अभी समय पड़ा है, पुरुषार्थ कर लेंगे। *समय से पहले इस स्थिति का अनुभव प्राप्त करना है।* _अगर समय आने पर इस स्थिति का अनुभव करेंगे तो समय के साथ स्थिति भी बदल जाएगी।_ *समय समाप्त तो फिर अव्यक्त स्थिति का अनुभव भी समाप्त हो, दूसरा पार्ट आ जाएगा।* इसलिए पहले से ही अव्यक्त स्थिति का अनुभव करना है।
_*संपूर्ण पुरुषार्थ अर्थात् सभी बातों में अपने को संपन्न बनाना।*_
*ईश्वरीय नालेज*
जानने को ही नॉलेज कहा जाता है। *अगर नॉलेज, लाइट और लाइट नहीं है तो वह नॉलेज ही किस काम की*, उनको जानना नहीं कहा जाएगा।
*नॉलेज वह चीज है जो वह रुप बना देती है।*
_ईश्वरीय नालेज ईश्वरीय स्थिति बनायेगी।_
_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*