*अमूल्य रतन* 190
अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970*
*ईश्वरीय नॉलेज की धारणा*
धारणा से कर्म ऑटोमेटिकली हो जाता है। *धारणा का अर्थ ही है उस बात को बुद्धि में समाना।*
जब नॉलेज को बुद्धि में समाते हो तो फिर बुद्धि के डायरेक्शन अनुसार कर्मेंद्रीय भी वही करती है।
सदैव यही एम रखनी चाहिए हम ऐसा कर्म करें जो मिसाल बनकर दिखाएं।
_सर्वशक्तिवान बाप के बच्चे होने के बाद भी वातावरण आपसे शक्तिशाली इसलिए है_ क्योंकि *अपनी शक्ति भूल जाते हो।* इसलिए अपनी स्मृति रखकर सर्विस करनी है।
*सर्व संबंध*
अगर आत्मा को संबंध में आना भी है तो एक से। *एक से दो भी बनना है तो बाप और बच्चे, तीसरा कोई संबंध नहीं।* इस स्थिति को ही ऊंच स्थिति कहा जाता है। ऐसी स्थिति रहने से ही *मायाजीत* बनेंगे। मायाजीत ही *जगतजीत* बन जाते हैं।
_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*