*अमूल्य रतन* 197
अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 जनवरी 1970*
*हम सर्वशक्तिमान बाप के बच्चे हैं यह संजीवनी बूटी* को सदैव साथ रखने से माया वार नहीं करेगी।
*ब्राह्मण कुल की रीति*
सदैव यही कोशिश करनी है कि *हमारी चलन द्वारा कोई को भी दुःख ना हो।* _मेरी चलन, संकल्प, वाणी, हर कर्म सुखदाई हो।_
जो भी पुराने संस्कार हैं और पुरानी नेचर हैं वह बदल कर ईश्वरीय बन जाए।
जो दूर से ही कोई समझ ले कि यह हम लोगों से न्यारे हैं।
*न्यारे और प्यारे रहना यह है पुरुषार्थ।*
*चेक करो* की अव्यक्त स्थिति से जब नीचे आते हैं तो *किस व्यक्त की तरफ बुद्धि जाती है?* _जरूर कुछ रहा हुआ है तब बुद्धि वहां जाती है।_
सदैव याद रखो कि *मेरा बाप सर्वशक्तिवान है। हम सभी से श्रेष्ठ सूर्यवंशी है।*
अपना बाप और वंश के स्मृति स्वरूप बनने से माया कुछ भी नहीं कर सकेगी।
_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*