*अमूल्य रतन* 206
अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970*
*मन, वाणी, कर्म तीनों शक्तिशाली हो जाए इसके लिए*
कमजोरी के अगर संकल्प चलते हैं तो वाणी और कर्म में आ जाते हैं। संकल्प में ही खत्म कर देंगे तो वाणी, कर्म में नहीं आएंगे।
*बांधेलीयों के लिए*
घर बैठे भी चरित्रों का अनुभव कर सकते हो लेकिन ऐसी लगन चाहिए।
*एक की याद ही अनेक बंधन को तोड़ने वाली है।* एक बाप के सिवाय दूसरा ना कोई। जब ऐसी अवस्था हो जाएगी फिर यह बंधन आदि सभी खत्म हो जाएंगे।
_जितना अटूट स्नेह होगा उतना ही अटूट सहयोग मिलेगा।_
*बुद्धि की तार को जोड़ने के लिए*
_हर संकल्प, हर कदम पर चेकिंग चाहिए कि यह हमारा संकल्प यथार्थ है या नहीं।_ इतना अटेंशन जब संकल्प पर होगी तब वाणी और कर्म भी ठीक रहेंगे।
_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*