*अमूल्य रतन* 218 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 मार्च 1970* शीर्षक: *सच्ची होली मनाना अर्थात् बीती को बीती करना।* *होली मनाना अर्थात्* 01. सदा के लिए बीती सो बीती का पाठ पक्का करना। *पुरुषार्थ की स्पीड को ढीला करने वाली मुख्य बात* बीती हुई बात को चिंतन में लाना, चित्त में रखना व वर्णन करना। _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |