*अमूल्य रतन* 222
अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 मार्च 1970*

*समानता*

जितनी समानता है उतना स्वमान मिलेगा।
जितनी जिसमें समानता देखो उतना समीप समझो। *समीप रत्न की परख समानता है।*

*लाइट और माइट का दान*

सभी को लाइट अर्थात रोशनी आ रही है कि इन्हों की नॉलेज क्या है लेकिन प्रभाव कम है।
जब लाइट और माइट दोनों में एकरस होंगे तब नंबर आउट होंगे।

*संगमयुग की विशेषता*

एक ही समय पर ताज, तिलक, तख्त और सुहाग-भाग। सर्व प्राप्तियां बापदादा कराते हैं। जो एक जन्म की देन अनेक जन्म चलती है।
वैसे बच्चों को *अनेक जन्मों के हिसाब किताब एक जन्म में चुक्तु करने हैं। इसी कारण कभी-कभी माया फोर्स रूप ले आता है।*

*_जितनी साक्षी अवस्था ज्यादा रहेगी उतना समझो कि साक्षात्कार मूर्त बनने वाले हैं।_*

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