*अमूल्य रतन* 223
अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 मार्च 1970*

*श्रेष्ठता लाने के लिए मुख्य गुण*

जितनी स्पष्टता होगी उतनी श्रेष्ठता आयेगी। जो स्पष्ट होता है वही सरल और श्रेष्ठ होता है। _स्पष्टता श्रेष्ठता के नजदीक हैं। जितनी स्पष्टता उतनी सफलता।_

*आदि रत्नों की महिमा*

आदि सो अनादि। जो आदि रतन है वह अनादि गायन योग्य बनते हैं। क्योंकि *आदि देव के साथ मददगार हैं। आदि रत्न ही सृष्टि के कर्तव्य के आधार है।*

*स्नेह, सहयोग और शक्ति*

_स्नेही और सहयोगी दोनों समान हैं क्योंकि स्नेही सहयोग के सिवाय रह नहीं सकता।_
जब स्नेह, सहयोग और शक्ति तीनों की समानता होती है तब समाप्ति होती है।

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