*अमूल्य रतन* 225 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 मार्च 1970* शीर्षक: *महारथीपन के गुण और कर्तव्य* *महारथियों की निशानी* 01. जो महारथी कहलाए जाते हैं *उनकी प्रैक्टिस और प्रैक्टिकल साथ साथ होगा।* *महारथी का अर्थ ही है महान।* *इस समय पढ़ाई कहां तक पहुंची है?* अब तो अंतिम स्टेज है। *अभी तो जो संकल्प हो वह कर्म हो।* _संकल्प करना, प्लेन्स बनाना, फिर उस पर चलना अब वह दिन नहीं है।_ वह बचपन की बातें हैं। _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |