*अमूल्य रतन* 226 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 मार्च 1970* *नई दुनिया का प्लेन प्रैक्टिकल में आना अर्थात्* पुरानी दुनिया की कोई भी बात फिर से प्रैक्टिकल में ना आए। *इस संगठन का महत्व* यह संगठन काॅमन नहीं है। इस संगठन से ऐसा स्वरुप बनकर निकलना जो सभी को साक्षात बापदादा के ही बोल महसूस हो। *बापदादा के संस्कार सभी के संस्कारों में देखने में आए।* *पुरुषार्थ की सीढ़ी* देह और देह के संबंध यह सीढ़ी तो चढ़ चुके हो। *अब बुद्धि में भी संस्कार इमर्ज ना हो* क्योंकि जैसे संस्कार होंगे वैसा स्वरूप होगा। *बापदादा का बच्चों से यही उम्मीद है कि अब सूरत में सीरत आनी चाहिए।* सूरत अलग होगी सीरत वही होगी। _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |